भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिल्लो रानी, कहाँ चली / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:29, 16 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=बच्च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बिल्लो रानी, कहाँ चली,
कहाँ चली जी, कहाँ चली?
मैं जाऊँगी बड़े बजार,
खाऊँगी अब टिक्की चार।
सुना, वहाँ की चाट गजब है,
टिक्की का तो स्वाद अजब है।
लच्छूमल की दही-पापड़ी
खाऊँगी मैं थोड़ी रबड़ी।
फिर आऊँगी झटपट-झटपट,
आकर दूध पिऊँगी गटगट।