भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लड़की / श्रीप्रसाद

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:26, 20 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीप्रसाद |अनुवादक= |संग्रह=मेरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लड़की अंतरिक्ष में जाती
साहस इतना भारी
लड़की खेल रही खतरों से
लड़की कभी न हारी

लड़की कलाकार होती है
कोयल के स्वर गाती
लड़की सुंदर नृत्य दिखाकर
नये लोक ले जाती

लड़की शासन चला रही है
लेती जिम्मेदारी
वायुयान लड़की के हाथों
आसमान में उड़ते
नये-नये अध्याय ज्ञान के
इससे ही हैं जुड़ते

बनती पुलिस, फौज में जाती
बनती ऊँची नारी

रचती है साहित्य, वेद की
रचती वही ऋचाएँ
कोमल भावों में डूबी है
क्या इसके गुण गाएँ

नन्ही बच्ची गोदी में है
खुशियों भरी पिटारी

यह स्वतंत्रता के संघर्षों
में भी तो थी आगे
इसका जोश देख भारत के
कितने ही जन जागे

यह प्रकाश लेकर निकली है
मिटा रही अँधियारी
लड़की अंतरिक्ष में जाती
साहस इतना भारी।