भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कदी आ मिल यार प्यारिआ / बुल्ले शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:02, 6 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बुल्ले शाह |अनुवादक= |संग्रह=बुल्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कदी आ मिल यार प्यारिआ।
तेरीआँ वाटाँ तों सिर वारिआ।
कदी आ मिल यार प्यारिआ।

चढ़ बागीं कोइल कूकदी।
नित सोजे़-अलम<ref>जुदाई की पीड़ा</ref> दे फूकदी।

मैनूँ ततड़ी को शाम विसारिआ।
कदी आ मिल यार प्यारिआ।

बुल्ला सहु कद घर आवसी।
मेरे बलदी भा<ref>आग</ref> बुझावसी।

ओहदी वाटाँ तों सिर वारिआ।
कदी आ मिल यार प्यारिआ।

शब्दार्थ
<references/>