भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दोहरे / बुल्ले शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:06, 6 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बुल्ले शाह |अनुवादक= |संग्रह=बुल्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1.
उसका मुख इक जोत है, घुँघट है संसार।
घुँघट में ओह छुप्प गया, मुख पर आँचल<ref>पल्लू डालके मुखड़े को ढंक कर</ref> डार।

2.
बुल्लिआ वारे जाईए ओहनाँ तों, जेहड़े गल्ली देण परचाअ।
सूई सलाई दान करन ते आहरण<ref>लोहे का घन, जिसके ऊपर गरम या ठंडा लोहा घन से कूटा जाता है</ref> लैण छुपा।

3.
बुल्लिआ इशक सज्जण दे आएके सानूँ कीतोसु डूम।
ओह प्रभ असाडा सखी है, मैं सेवा कुनों सूम।

4.
बुल्लिआ आशक होयों रब्ब दा मलामत होई लाख।
लोग काफर आखदे तूँ आहो<ref>हाँ हाँ</ref> आहो आक्ख।

5.
बुल्लिआ मुल्लाँ अते मशालची दोहाँ इक्को चित्त।
लोकाँ करदे चानणा आप अन्नेहरे नित्त।

6.
बुल्लिआ मन मुंजोला<ref>मुँज थबा, पूला</ref> मौज दा किते गोशे बैह के कुट्ट।
एह खजाना तैनूँ अरश दा तूँ सँभल-सँभल के लुट्ट।

7.
बुल्लिआ हिजरत विच्च इस्लाम दे मेरा नित्त है खास आराम।
नित्त नित्त मराँ ते नित्त नित्त जीवाँ मेरा नित्त नित्त कूच मुकाम।

8.
बुल्ले शाह ओह कौण है उत्तम तेरा यार।
ओसे दे हत्थ कुरान है ओसे गल जुन्नार<ref>जनेऊ</ref>।

9.
इट्ट खड़िक्के दुक्कड़ वज्जे तत्ता होवे चुल्ला।
आवण फकीर ते खा खा जावण राजी होवे बुल्ला।

10.
बुल्लिआ हरिमन्दर में आए के कहो लेक्खा देओ बता।
पढ़े पंडित पांधे दूर कीए अहमक<ref>पागल</ref> लीए बुला।

11.
बुल्लिआ मैं मिट्टी घुम्यार दी गल्ल आख ना सकदी एक।
तत्तड़ मेरा क्यों घड़ेआ मत जाए अलेक सलेक।

12.
होर ने सभ्भे गल्लड़िआँ अल्लाह अल्लाह दी गल्ल।
कुझ रौला पाया आत्माँ कुझ कागजाँ पाया झल्ल।

शब्दार्थ
<references/>