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वेखो नी की कर गया माही / बुल्ले शाह

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वेखो नी की कर गया माही,
लैंदा ही दिल हो गया राही,

अंबड़ी झिड़के मैनूँ बाबल मारे,
ताअने देंदे वीर प्यारे,
ओसे दी गल ओहा नितारे,

हँसदिआँ गल विच्च पै गई फाही।
वेखो नी की कर गया माही।

बूहे ते उन नाद वजाया,
अकल फिकर सभ चा गवाया,
जे बुरी बुरिआर मैं होया,

मैनूँ देहो उते वल्ल तराही।
वेखो नी की कर गया माही।

इशक होर दे पए पुवाड़े
कुझ सुलाँ कुझ करमा साड़े,
मनसूर होराँ चा बुरके पाड़े,

असाँ भी मुँह तो लोई लाही।
वेखो नी की कर गया माही।

बुल्ला सहु दी इशक रंजाणी,
डंगी आँ मैं किसे नाग अयाणी,
अज्ज अजोके प्रीत ना जाणी,

लग्गी रोज़ अज़ल दी माही।
वेखो नी की कर गया माही।

शब्दार्थ
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