भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मिलन-स्थल: 3 / विष्णुचन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:47, 17 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णुचन्द्र शर्मा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अब जिंदगी है तो मिलन-स्थल
होगा ही।
सभी जानते हैं कि
सादतपुर लंदन या बर्लिन नहीं है
‘डेटिंग’ चाहती है वहाँ जवान युवती
माँएं इंतजार कर रही हैं बेटी के
मिलन-दिन का।
पर यहाँ माँएं चीखती हैं
बंदकर देती हैं स्कूल भेजना
पर मिलन-स्थल कब वीरान होता है
गली नं. 5 का।