भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
डर / श्याम सुशील
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:18, 20 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सुशील |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अल्ला से नहीं
ईश्वर से नहीं
मंदिर से नहीं
मस्जिद से नहीं
डरे हुए लोगों से
बहुत डर लगता है।