Last modified on 20 मार्च 2017, at 17:26

मेरी प्रेमिका / संजीव ठाकुर

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:26, 20 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजीव ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वह मुझे याद आती है
मंजीत बाबा की उस पेंटिंग के शेर की तरह
जो झपट्टा मारने को तैयार है।
(कितना प्यारा, कितना मुलायम, गुदगुदा था वह शेर)
क्रूरता तो झलकती ही नहीं थी उसके चेहरे से!
और खुद को पाता हूं मैं
हरिपाल त्यागी की पेंटिंग ‘विध्वंस’ के
उस कुत्ते की तरह
जो पूंछ ताने, भौंक रहा है,
अकेला ही विद्रोह कर रहा है।
क्या सचमुच मेरी प्रेमिका
मंजीत बाबा की पेंटिंग का शेर थी
जो घुड़की देकर चली गई मुलायम सी-
और मैं भौंक रहा हूं तभी से
हरिपाल त्यागी की पेंटिंग के कुत्ते की तरह?...