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कथी लेली बरसात पूजै छो / धीरज पंडित

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कथी लेली बरसात पुजै छोॅ?
सामी लेली कि सुहाग लेली
या आपनोॅ जीवन के भाग लेली
सामी केॅ तेॅ कहियेॅ न´ पुजलोॅ
गाछी तरोॅ मंे माथा ठोकै छोॅ
कथी लेली बरसात पुजै छोॅ?

सामी केॅ तेॅ नाक चिढ़ावोॅ
आपने मेवा केना केॅ पैइबोॅ
कहियोॅ बैठी के नय प्रेम जतैई लोॅ
गाछी केॅ बैठी केॅ बीनी हौके छोॅ
कथी लेली बरसात पुजै छोॅ?

गीत-नाद आरू मंगल गावै छोॅ
घरोॅ में हरदम दंगल लावै छोॅ
कहियोॅ नय तोरोॅ मुँह बंद रहलोॅ
केकरा लेली तोंय दिन भर सहै छोॅ
कथी लेली बरसात पुजै छोॅ?

‘धीरज’ के छै एक्के कहना
खिलै जहाँ छै दोनोॅ नयना
हौ बगिया मेॅ परेम उगावोॅ
जेकरा तोॅ घर द्वार कहै छोॅ
कथी लेली बरसात पुजै छोॅ?