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6 / हीर / वारिस शाह

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यारां असां नूं आन सवाल कता इशक हीर दा नवां बनाइये जी
इस प्रेम दी झोंक दा सब किस्सा जीभ सोहणी नाल सुनाइये जी
नाल अजब बहार दे शेअर करके रांझे हीर दा मेल मिलाइये जी
नाल दोसतां मजलसां<ref>महफिल</ref> विच बह के मजा हीर दे इशक दा पाइये जी

शब्दार्थ
<references/>