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7 / हीर / वारिस शाह
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हुकम<ref>अवाल मनणा</ref> मन्न के सजनां प्यारयां दा किस्सा अजब बहार दा जोड़या ए
फिकरा जोड़ के खूब दरूसत कीता नवां फुल गुलाब दा तोड़या ए
बहुत जीउ दे विच तरतीब करके फरहाद पहाड़ नू फोड़या ए
सभा वीन के जे़ब बना दिता जेहा अतर गुलाब नचोड़या ए
शब्दार्थ
<references/>