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17 / हीर / वारिस शाह
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तुसां छतरे मरद बना दिते सप रसियां दे करो डारीयो नी
राजे भोज दे मुख लगाम दे के चढ़ दौड़ियां हो टूनेहारीयो नी
कैरों पाडवां दी सभ गाल सुटी ज़रा गल दे नाल बुरियारीयो नी
रावण लंका लुटायके गरक होया कारन तुसां दे ही हैंसियारीयो नी
शब्दार्थ
<references/>