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22 / हीर / वारिस शाह

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भुल गए हां वड़े हां आन वेहड़े सानूं बखश लै डारीए वासता ई
हत्थों तेरिओं देस मैं छड जासां वस्सीं देस हैंसियारीए<ref>कातिल</ref> वासता ई
दिन रात तूं जुलम ते लक्क बधा मुड़ीं रूप शिंगारीए वासता ई
नाल हसन दे फिरे गुमान लदी समझ मसत हंकारीए वासता ई
वारस शाह नूं मार ना भाग भरीए अनी मुणस दी पयारीए वासता ई

शब्दार्थ
<references/>