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29 / हीर / वारिस शाह

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भाइयां बाझ न मजलसां सोंहदियां ने अते भाइयां बाझ बहार नाहीं
भाई मरन ते पैंदियां भज बाहां बिना भाइयां परे प्रवार नाहीं
लख ओट है भाइयां वसंदयां दी भाइयां गयां जेही कोई हार नाहीं
भाई ढाहुंदे भाई उसारदे ने वारस भाइयां बाझों बेली यार नाहीं

शब्दार्थ
<references/>