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40 / हीर / वारिस शाह
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तुसीं विच खुदा दे खानयां दे गोज<ref>पद</ref> वायगी दस क्यों मारदे हो
झूठ गैबता<ref>निंदा</ref> अते हराम करना मुशतजनी दे गैब क्यों सारदे हो
बास हलवियां दी खबर मुरदियां दी नाल दुआए दे जीऊंदे मारदे हो
अन्ने कोड़यां लूलयां वांग बैठे कुररा मरन जहान दा मारदे हो
शरह चाए सरपोश बनाया जे रवादार वडे गुनहगार दे हो
वारस शाह मुसाफरां आयां नूं चलो चल ही पये पुकारदे हो
शब्दार्थ
<references/>