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47 / हीर / वारिस शाह

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दोहां बाहां तों पकड़ रंझेटड़े नूं मुड़ आण बेड़ी विच चाढ़या ने
तकसीर<ref>कसूर</ref> मुआफ कर आदमी दी मुड़ आण बहिश्त विच वाड़या ने
गोया ख्वाब दे विच अजराइल<ref>मौत का फरिश्ता</ref> डिठा ओहनूं फेर मुड़ अरश ते चाढ़या ने
वारस शाह नू तुरत नुहाए के ते बीबी हीर दे पलंघ ते चाढ़या ने

शब्दार्थ
<references/>