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56 / हीर / वारिस शाह
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पकड़ लए झबेल ते बन्ह मुशकां मार छमकां लहू लुहान कीते
मेरे पलंघ ते आन सवालिया जे मेरे बैर दे तुसां सामान कीते
कुड़ीए मार ना असां बेदोशियां नूं कोई असां ना एह महमान कीते
चंचल हारीए रब्ब तों डरीं मोइए अगे किसे ना ऐड तुफान कीते
शब्दार्थ
<references/>