भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम्हारे लिए / कर्मानंद आर्य
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:44, 30 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कर्मानंद आर्य |अनुवादक= |संग्रह=अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
धरती जो महकती है लोबान की खुशबू से
वह घर जो कस्तूरी की गंध से भर आता है
वह कमरा जो महकता है
दुनिया के सबसे बेहतरीन इत्र से