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85 / हीर / वारिस शाह

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मिली राह विच दौड़के जा नढी पहले नाल फरेब दे चटया सू
नेड़े आणके शीहनी दे वांग गज्जी अखीं रोह दा नीर पलटया सू
सिरों लाह टोपी गलों तोड़ सेहला लकों चाइके जिमीं ते सटया सू
पकड़ जिमीं ते मारिया नाल गुसे धोबी पटड़े ते खेस छटया सू
वारस शाह फरिशतियां अरश<ref>आकाश</ref> उतों शैतान नूं जिमीं ते सटया सू

शब्दार्थ
<references/>