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86 / हीर / वारिस शाह

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हीर ढाह के आखया मियां चाचा चूरी देह जे जीऊणा लोड़ना एं
नहीं ते मारके जिंद गवा देसों मैंनूं किसे ना हटकणा होड़ना एं
बन्ह हथ ते पैर लटका देसां लड़ लड़कियां नाल की जोड़ना एं
चूरी देह खां नाल हया आपे वारस शाह दे नाल अजोड़ना एं

शब्दार्थ
<references/>