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95 / हीर / वारिस शाह
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चूचक आखदा मलकीए जमदड़ी नूं गल घुट के काहे ना मारयो ई
घुटी ज़हर दी घोल ना दितीआ ई उह अज जवाब नितारियो ई
मंझ डूंगड़े धीआ न बोड़ीया ई वहिण रोड़ के मूल ना मारियो ई
वारस शाह खुदाए दा खौफ कीता कांरू वांग ना जिमी निघरियो ई
शब्दार्थ
<references/>