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109 / हीर / वारिस शाह
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एह रज़ा तकदीर दी होय रही, वारद कोण हो जो दये हटाए मियां
दाग अंब दी रसा दा लहे नाहीं दाग इशक दा भी नहीं जा मियां
होर सभ गलां मनजूर होइयां रांझे चाक थों रहा न जा मियां
एस इशक दे रोग दी गल ऐवें सिर जाय ते सिरर ना जा मियां
वारस शाह मियां जिवें गंज सिर दा बारां बरस बिना नहीं जा मियां
शब्दार्थ
<references/>