Last modified on 31 मार्च 2017, at 10:40

110 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:40, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एहदी वढ लुडके<ref>कानों के बुंदे</ref> कोह जुंडयां नू गल घुट के डूंघड़े बोड़िये नी
सिर भन्न सू नाल मधानियां दे ढूही<ref>गुदा</ref> नाल खड़ताल<ref>जोर से लात मारनी</ref> तोड़िये नी
एहदा दातरी चाल चा ढिड पाड़ो सूई अखियां दे विच पोड़ये नी
वारस चाक तों एह ना मुड़े मूलों असीं रहे बहुतेरड़ा होड़िये नी

शब्दार्थ
<references/>