Last modified on 31 मार्च 2017, at 11:07

128 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:07, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अम्मां चाक बेले असीं पींघ झूटां कहे गैब दे तोतने बोलनी एं
गंदा बहुत मलूक मुंह झूठड़े दा ऐडा झूठ दहाड़ क्यों तोलनी एं
शोलह नाल गुलाब दे त्यार कीता विच पयाज क्यों झूठ दा घोलनी एं
गदों किसे दी नहीं चुरा आंदी दानी होइके गैब<ref>अदृश्य</ref> क्यों तोलनी एं
अन सुणदियां नूं चा सुणाया ई मोए नाग वांगूं विस घोलनी एं
वारस शाह गुनाह की असां कीता ऐडे गैब दे कूड़ क्यों फोलनी एं

शब्दार्थ
<references/>