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131 / हीर / वारिस शाह

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कैदो आनके आखदा सहुरयो ओये मैंथो कौन चंगा मत देसिआ ओये
एह नितदा पयार न जाए खाली पिंज गडी दादास ना देसिया ओये
हथों मार सियालां ने गल्ल टाली परा छड झेड़ा एह भेरसिया ओये
रग इक वधीक है लंडयां दीए किरतघण फरफेज मलखेसिया ओये

शब्दार्थ
<references/>