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177 / हीर / वारिस शाह
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चूचक सयाल नेकौल विसार दिते जदों हीर नूं पाया माइयां नी
कुड़ियां झंग सयाल दीयां धुन्बला हो सभे पास रंझेटेदे आइयां नी
उथे वयाह दे सब समान होए गंढी फेरियां देस ते नाइयां नी
ओए मूरखा पुझ तू नढड़ी नू मेरे नाल तू केहीया चाइयां नी
हुन तेरी रझेटया गल कीकूं तूं हीं रात दिन महीं चराइयां नी
शब्दार्थ
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