Last modified on 31 मार्च 2017, at 11:30

178 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:30, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हीरे कहर कीतो रल नाल भाइयां सभा खुलक<ref>शिष्टाचार</ref> तूं चा गवाइयां नी
जे तूं अंत एहो पिछा देवना सी एडिआं मेहनतां काहे कराइयां नी
एहा हद हीरे तेरे नाल साडी महल चाढ़ के पौड़ियां चाइयां नी
तैं तां वयाह दे हार शिंगार बधे अते खेड़यां घरीं वधाइयां नी
खाह कसम सौगंद तैं घोल पीती एह दसीं तूं पूरीयां पाइयां नी
बाहों पकड़ के टोर चा कढ देसों ओवें तोड़ नैनां जिवें लाइयां नी
यार यार थीं जुदा हुण दूर कीचै मेरे बाब तकदीर लिखाइयां नी
वारस शाह ठगिओ दगा दे के जेहियां कीतयां सो असां पाइयां नी

शब्दार्थ
<references/>