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180 / हीर / वारिस शाह
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रत्न हीर ते आइयां फेर सभे रांझे यार तेरे सानूं घलया ई
खूंडी वंझली कमली सुट धते छड देस परदेस नूं चलया ई
जे तैं अंत ओहनूं पिछा देवना सी ओहदा कालजा कासनूं सलया ई
असां एतनी गल मालूम कीती तेरा निकल ईमान हुण चलया ई
शब्दार्थ
<references/>