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192 / हीर / वारिस शाह

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डारां खूबां दीयां मेलणां दे मेल आइयां हूरपरी दी होश गवांदियां ने
लख जटियां मुशक पलटियां ते आण पदमनी वाग सुहांदियां ने
बारां जात ते सत सनात<ref>अलग-अलग जाति की औरतें</ref> ढुकी रंग रंग दीयां सूरतां आंदियां ने
परीजात जटेटियां नैण खूनी नाल हेक महीन दे गानदियां ने
उते भोछन सन पंज पलिए<ref>बारीक व फुलदार कपड़ा</ref> दे अते लुंगियां तेड़ झनादियां ने
नाल आरसी मुखड़ा देख सुन्दर खोल आशकां नूं तरसांदियां ने
इक खेल चादरां कढ छाती उपर वाड़यां झातियां पांदियां ने
इक वांग बसातियां<ref>सुनार</ref> कढ लाटू वीराराध<ref>जिसने देवी को वश में किया हो</ref> दी नाफ<ref>धुनी</ref> दिखांदियां ने
इक ताड़ी मारदियां नचदियां ने इक शौहदियां घाड़ियां गांदियां ने
इक गायके कोइयां काग होइयां इक राह विच दोहरे लांदियां ने
इक आखदी मोर ना मार मेरा इक विच मसोलड़ा<ref>सुंदर आंखों वाला पक्षी</ref> गांदियां ने
वारस शाह जिउ शेरगड़ कपट मेटन लख सगतां जिआरातां आंदियां ने

शब्दार्थ
<references/>