भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
198 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:37, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
काज़ी महकमे विच इरशाद<ref>फरमाया</ref> कीता मन शरह दा हुकम जे जीवना ई
बाअद मौत दे नाल ईमान हीरे दाखल विच बहिश्त दे थीवना ई
नाल जौक ते शौक<ref>इच्छा</ref> दा नूर शरबत विच जनतउलअदन<ref>स्वर्ग में</ref> दे पीवना ई
चादर नाल हया दे सतर<ref>परदा</ref> कीजे काहे दरज हराम दी सीवना ई
शब्दार्थ
<references/>