Last modified on 3 अप्रैल 2017, at 17:14

216 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:14, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तैनूं हाल दी गल मैं लिख घलां तुरत हो फकीर तै आवना ईं
किसे जोगी दा जा के बनी चेला सवाह लाके कन पड़वावना<ref>कान फड़वाना</ref> ईं
सभो जात सफात बरबाद करके अते ठीक तैं सीस मुणावना ईं
तू ही जीउंदियां दईं दीदार सानूं असां वत न जीउंदियां आवना ईं
यारी तोड़ निभावनी दस सानूं वारस एह जहान छड जावना ईं

शब्दार्थ
<references/>