भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
221 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:16, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जदों गानड़े दे दिन पुज गये लसी मुंदरी खेडने आइयां ने
सैदा लाल पीड़े उते आन बैठा कुड़ियां वहुटड़ी पास बहाइयां ने
पकड़ हीर दे हथ परात पाए बाहां मुरदयां वांग पलमाइयां ने
वारस शाह मियां नैणां हीर दयां ने वांग बदला छैहबरां लाइयां ने
शब्दार्थ
<references/>