223 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:16, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भाबी खिजां दी रूत जद आन पहुंची भौर आसरे ते जफर जालदे नी
सेउन बुलबुलां बूटयां सुकयां नूं फेर फुल लगन नाल डाल दे नी
असां जदों कदों उहनां पास जाना जेड़े महरम असाडड़े हाल दे नी
जिन्हां सूलियां ते लए चा झूटे मनसूर होरीं साडे नाल दे ने
वारस शाह जो गए नहीं मुड़दे लोक असां तों औना भालदे ने
मोजू चैधरी दा पुत चाक लया एह पेखने<ref>तमाशे</ref> जुल जुलाल<ref>सर्व शक्तिमान</ref> दे ने
एस इशक पिछे लड़न मरन सूरे सफां डोलदे खूनियां गालदे नी
भाबी इशक तो नसके ओह जांदे पुत्र होन जो किसे कंगाल दे नी
मारे बोलियां दे घरीं नहीं वड़दे वारस शाह होरी फिरन भालदे नी

शब्दार्थ
<references/>

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.