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237 / हीर / वारिस शाह
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साडी खैर है चाहुंदे खैर तेरी फेर लिखो हकीकतां सारियां जी
पाक रब्ब ते पीर दी मेहर बाझों कौन कटे मुसीबतां भारियां जी
मौजू चैधरी दा पुत चाक होके चूचक सयाल दीयां खोलयां<ref>डंगर</ref> चारियां जी
दगा देके आप चढ़ जान डोली चंचल हारियां एह कुआरियां जी
सप रसियां दे करन मार मंतर तारे देंदियां जे हेठ खारियां जी,
पेके जटां नूं मार फकीर करके लैण सौहरे जा घुमकारियां जी
आप नाल सुहाग दे जो रहन पिछे ला जावन पिचकारियां जी
सरदारां दयां पुतरां चाक करके आप मलदियां जा सरदारियां जी
वारस शाह ना हारदियां असां कोलौं राजे भोज थीं एहना हारियां जी
शब्दार्थ
<references/>