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251 / हीर / वारिस शाह
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तुसी बखशना तां जोग किरपा दान करदयां ढिल ना लोड़ीए जी
जेहड़ा आस करके डिगे आन दुआरे जी ओसदा चा ना तोड़ीए जी
सिदक बनके जेहड़ा आ चर्ण लगे पार लाईए विच ना बोड़ीए जी
वारस शाह मियां जैंदा कोई नाहीं मेहर उसतों नांह विछोड़ीए जी
शब्दार्थ
<references/>