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279 / हीर / वारिस शाह
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तूं तां चाक सयालां दा नाम धीदो छड खरच पो<ref>चालाकी</ref> गल हंकर दे जी
महीं चूचके दीयां जदों चारदा सैं जटी मानदा सैं विच बार दे जी
तेरा मेहना हीर सयाल ताईं खबर आम सी विच संसार दे जी
नस जाह एथों मार सुटनिगे खेड़े सच ते झूठ नितारदे जी
देस खेड़यां दे जरा खबर होवे जान तखत हजारे नूं मारदे जी
भज जाह खड़े मतां लाध करनी प्यादे बन्न लै जान सरकार दे जी
मार चूर कर खटनी हड गोडे मलक गोर<ref>कब्र</ref> अजाब<ref>दुख</ref> कहार दे जी
वारस शाह जयों गोर विच हड कड़कन गुरजा नाल आसी गुनहगार दे जी
शब्दार्थ
<references/>