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295 / हीर / वारिस शाह
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गली जायके किवें लिआओ उसनूं रत्न पुछीए केहड़े थाउं दा नी
खेह लायके देस विच फिरे भौंदा अते भिच्छया मंगके खांवदा नी
वेखां केहड़े देस दा चैधरी ए अते जात दा कौन सदांवदा सी
वेखां खबरे रोहीओं माझयों बेट वलों रावी बयास दा अते झनांव दा नी
फिरे त्रिंजणां विच खुआर हुंदा विच वेहड़यां फेरियां पांवदा नी
वारस शाह मुड़ टोह एह कासदा नी कोई एसदा भेत ना पांवदा नी
शब्दार्थ
<references/>