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301 / हीर / वारिस शाह

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रांझे आखया खयाल ना पवो मेरे सींह सप फकीर दा देस केहा
कूंजां वांग ममोलयां देस छडे असां जात सफात ते भेस केहा
वतन दमां दे नाल ते जात जोगी साडा साक कबीलड़ा खेस<ref>आपणा</ref> केहा
जेहड़ा वतन ते जात वल धयान रखे दुनियां दार है उह दरवेश केहा
दुनियां नाल पैंवदा है असां केहा पत्थर जोड़ना नाल सरेश केहा
जिनां खाक दर खाक फनाह<ref>नष्ट</ref> होना वारस शाह फिर तिनां नूं ऐश केहा

शब्दार्थ
<references/>