भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
327 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:57, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
वेहड़े वालियां दानियां आखदियां क्यों बोलदियो नाल दवानड़े नी
कुड़ीए कासनूं झगड़े नाल जोगी एह तां जंगलीखडे निमानडे नी
मंग खायके सदा एह देहे तयागन तबू वैरने एह तानदे नी
कसब जानदे रब्ब दी याद वाला ऐडे झगड़े एह ना जानदे नी
सदा रहन उदास निरास नगे बिरछ फूक के सयाल गुजारदे नी
वारस शाह पर असां मलूम कीता जटी जोगी दोवें इकसे हानदे नी
शब्दार्थ
<references/>