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347 / हीर / वारिस शाह

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छेड़ खुंदरां भेड़ मचावना एं सेकां लिंग तेरे नाल सोटयां दे
असीं जटियां मुशक पलटियां हां नक पाड़ सुटे जिन्नां झोटयां दे
जदों मूहलियां पकड़ के गिरद होइयां पिसते कढिये टीनयां कोटयां दे
जट जुटके कुटिये नाल सोटे एह अलाज नी चितड़ां मोटयां दे
लपर शाह दा बालका शाह भखड़ तैथे वल है ऐड लपोटयां दे
वारस शाह रोडा सिर कन्न पाटे एह हालचोरां यारां खोटयां दे

शब्दार्थ
<references/>