Last modified on 3 अप्रैल 2017, at 18:03

349 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:03, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

असीं भूत दी अकल गवा दईए सानूं ला भबूत डरावना एं
त्रिंजणं देखने वहुटियां छैल कुड़ियां ओथे किंगनी तार वजावना एं
मेरी भाबी दे नाल तूं रमज मारें भला आप तूं कौन सदावना एं
ओह पई हैरान है नाल जहमत<ref>बीमारी</ref> घड़ी घड़ी क्यों पया अकावना एं
ना तूं वैद ना मांदरी ना मुलां झाड़े गैब दे कासनूं पावना एं
चोर चूहड़े वांग है तन्न तेरी पई जापदी सिर फुडावना एं
कदे भूतना होयके झंड खोले कदे जोग धारी बन आवना एं
इट सिट फगवाड़ ते कवार गंदल एह बूटियां कढ वखावना एं
दारू ना किताब ना हथ शीशी आख काहे दा वैद सदावना एं
जाह घरों असाडयों निकल भेखी नहीं जटां दी जूह सुहावना एं
खोह बावरी खपरी भन तोडूं अते होर की लीक लुआवना एं
रन्नां बलम बाऊर<ref>एक फकीर, वली जो हज़रत मूसा का विरोधी था</ref> दा दीन खोहया वारस शाह तूं कौन सदावना एं

शब्दार्थ
<references/>