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374 / हीर / वारिस शाह

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हीर उठ बैठी पते ठीक लगे अते ठीक नशानियां सारियां ने
एह तां जोतशी पंडत आन मिलया बातां आखदा खूब करारियां ने
पते वंझली दे एस ठीक दिते ओस मझी भी साडियां चारियां ने
वारस शाह एह इलम दा धनी डाढा खोल कहे निशानियां सारियां ने

शब्दार्थ
<references/>