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392 / हीर / वारिस शाह

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भाबी करे रिआयतां जोगी दियां हथीं सचियां पा हथौड़ियां नी
जेहड़े डंड वखायके करे आकड़ मैं तां पटसां एहदियां चैड़ियां नी
गुरु एसदे नूं नहीं पहुंच एथे जिथे अकलां साडियां दौड़ियां नी
मार मोहलियां ते सटां भन्न टंगां फिरे ढूंढ़दा काठ कठोरियां<ref>बैसाखियां</ref> नी
जिन्न भूत ते देउ दी अकल जाये तदों मारके उठीए छौढ़ियां नी
वारस शाह फकीर दे नाल लड़ना कपन जैहर दियां गदलां कौड़ियां नी

शब्दार्थ
<references/>