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396 / हीर / वारिस शाह

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भला दस भाबी केहा वैर चायो भईया पिटड़ी नूं पई लूहनी एं
अनहोईयां गलां दे नाउं लै के घा अलड़े पई खडूहनी एं
आप छाननी छेकदी दूसरी नूं ऐवें कंडयां तों पई धूहनी एं
सोहणी होई नाहीं तूं तां गजब चाया खून खलकदा पई नचूंहनी एं
आप चाक हंडायके छड आइएं हुण खलक नूं पई वडूहनी एं
आख भाई नूं हुणे चंडा छडूं जेहे असां नूं मेहणे लूहनी एं
आप कमली लोकां दे लाग लाए खचर वादियां दी वडी खूहनी एं
वारस शाह कहे बघयाड़ीए नी मुंडे मोहनी ते झोटे दोहनी एं

शब्दार्थ
<references/>