भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

406 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:57, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जोगी गजब दे सिरे ते सट खपर पकड़ उठया मारके छोड़या ई
लै के फाबड़ी घुलन तयार होया मार वेहड़े दे विच अपौड़िया ई
साड़ बालके जिऊ मूंखाक कीता नाल कावड़ां<ref>गुस्सा</ref> दे जट कौड़िया ई
जेहा महर दे हथ दा बान-भुचर<ref>मोटा-पला हुआ कुत्ता</ref> वारस शाह फकीर ते दौड़िया ई

शब्दार्थ
<references/>