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409 / हीर / वारिस शाह

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झाटा पटके मेढियां खोह सुटूं गुतों पकड़के देऊं विलावड़ा<ref>पटखनी</ref> नी
जे तां पिंडदा खौफ वखावनीएं लिखां पशम<ref>परवाह ना करना</ref> ते एह गिरावड़ा नी
तेरा असां दे नाल मुदापड़ा ए नहीं होवना सहज मिलावड़ा नी
लत मारके छडूंगा चाए कुबन<ref>दूध</ref> कढ आई ए ढिड जिउं तावड़ा नी
सने बांदी कुआरी दे मिझ कढूं निकल जाणगिआं सहिती दीयां चावड़ा नी
हथ लगे तां सटूंगा चीर रन्ने कढ लऊंगा सारियां कावड़ा नी
तुसीं त्रैए घुलाटड़ा जानना हां कडूं दोहां दा पोसत पोसतावड़ा नी
वारस शाह दे मोढयां चढ़ीए तूं निकल जाये जवानी दा चावड़ा नी

शब्दार्थ
<references/>