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415 / हीर / वारिस शाह

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घोल घतिआं यार दे नाम उतों जोगी मुख संभाल हतयारया वे
तेरे नाल की असां है बुरा कीता हथ ला तैनूं नहीं मारया वे
मनों सुनदयां पुने तूं यार मेरा एह कहर कतो लोहड़े मारया वे
रूग आटे दा होर लै जा साथों कोई वधे फसाद बुरयारया वे
तैथे आदमगरी<ref>मानवता</ref> दी गल नाही रब्ब चा बथुन<ref>बेढब्बा शरीर</ref> उसारया वे
वारस किसे असाडे नूं खबर होवे ऐवें मुफत विच जायेगा मारया वे

शब्दार्थ
<references/>