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422 / हीर / वारिस शाह

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तेरे जेहियां लख पढ़ाइयां मैं ते उडाइयां नाल अंगूठयां दे
तैनू सिध कामल वली गौस दिसे मैंनूं ठग दिसे भेस झूठयां दे
साडे खौंसड़े<ref>जूती</ref> नूं नहीं याद चोबर भावें ढेर लावे भन्न ठूठयां दे
एह मस्त मलग मैं मसत एदूं ऐसे मकर हैं टुकड़यां जूठयां दे
वारस शाह मियां नाले चुआड़िया दे लिंग<ref>अंग</ref> सेकिये चोबरां घूठयां दे

शब्दार्थ
<references/>