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424 / हीर / वारिस शाह
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भला कुआरीए सांगक्यों लावनी ए चिबे होठ क्यों पई बनावनी ए
भला जोगी नूं पई भरमावनी ए अते जी क्यों पई लमकावनी ए
लगे वस तां हुणे कटवानी ए सड़ी होई क्यों लूतियां लावनी ए
ऐडी लटक दे नाल क्यों करे गलां सैदे नाल नकाह पढ़ावनी ए
वारस शाह दे नाल उठ जाह ऊधल केहियां पई बुझारतां पावनी ए
शब्दार्थ
<references/>