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444 / हीर / वारिस शाह
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पया लानत दा तौक शैतान दे गल ताहीं रब्ब ने अरश ते चाढ़ना ई
झूठ बोलया जिनां वयाज खाधा तिनां विच बहिश्त ना वाड़ना ई
असी जिउ दी मैल चुका बैठे वत करां ना सीऊना पाड़ना ई
सानूं मार लै भाईअड़ां पिटयां नूं चाढ़ सेज उते जिसनूं चाड़ना ई
अगे जोगी तों मार मुकाया ई हुण होर की पड़तना पाड़ना ई
घर बार तों चा जवाब दितो होर आख की सच नितारना ई
मेरे नाल ना वारसा बोल एवें मते हो जाए कोई कारना ई
शब्दार्थ
<references/>